उद्देश्य-
"श्रीहरिहरधाम का स्वरूप- प्रभु श्रीनारायण विष्णुभगवान के इच्छित स्वरूप के साथ उत्पन्न यह "तीर्थस्थल एवं आस्थाकेन्द्र "श्रीहरिहर धाम'' प्रभु श्रीविष्णुभगवान एवं माता लक्ष्मी के भव्यधाम से युक्त है। एक विशाल बहुउद्देशीय दिव्यभवन से युक्त (जिसमें कि समग्रकल्याण हेतु प्रवचनों, योगशिवरों, विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं आदि का आयोजन हो सके)। समग्रकल्याण जीवन के दिव्यज्ञान से युक्त। अध्यात्मिक एवं विज्ञान के सम्पूर्ण चरणबद्ध ज्ञान से युक्त। दिव्यज्ञानरूप शाश्वतसिद्धांतों का अवतरण स्थल। कारण सहित सहज स्वीकार्य प्रेम एवं शांति का संदेश देने वाले, कर्तव्यपथ पर चलने और चलाने वाले, सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में व्याप्त प्रकृतिप्रदत्त सनातनधर्म के दिव्यज्ञान से युक्त। यह दिव्यधाम सम्पूर्ण मानव जिज्ञासाओं के समाधान हेतु दिव्यज्ञान से युक्त होकर अवतरण अवधि(सात वर्ष, माघमास के शुक्लपक्ष की एकादशी सन् 2016 से लेकर माघ मास के शुक्लपक्ष की एकादशी सन् 2023 तक) में पूर्ण अवतरित हो रहा है।
श्रीहरिहर शरण सारस्वत का जन्म एक सामान्य किसान, ब्राह्मण परिवार में हुआ। पिता से बचपन से ही अध्यात्मज्ञान प्राप्त करते हुए सदैव कर्तव्यपथ पर चलने की शिक्षा प्राप्त की। प्रभु श्रीनारायण विष्णु भगवान की असीम अनुकम्पा से कर्तव्यपथ पर चलते हुए "समग्रकल्याण जीवन" की प्राप्ति हुई। विभिन्न दिव्यउद्देश्यों की प्राप्ति हेतु "श्रीहरिहर शरण सारस्वत चैरिटेबल ट्रस्ट'' की स्थापना की एवं प्रभु श्रीनारायण विष्णुभगवान की इच्छा से श्रीविष्णुभगवान और माँ लक्ष्मीजी के धाम "श्रीहरिहर धाम" के अवतरण हेतु प्रभु इच्छित पवित्र स्थल पर शिलान्यास किया।
संस्थापक:-
श्री हरिहर शरण सारस्वत
संस्थापक
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